नई दिल्ली। जम्‍मू-कश्‍मीर में परिसीमन मामले में बड़ी खबर सामने आई है। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र सरकार को बड़ी राहत दी है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने परिसीमन को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं को सिरे से खारिज कर दिया है। जस्टिस अभय एस ओका की अध्यक्षता वाली पीठ ने ये फैसला सुनाया है। याचिकाकर्ता हाजी अब्दुल गनी खान, मोहम्मद अयूब मट्टू ने जम्मू-कश्मीर में विधानसभा सीटों और संसदीय सीटों के परिसीमन को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। याचिका में कहा गया था कि परिसीमन में सही प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया।

जस्टिस अभय एस ओका की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, ‘हमने शर्त दी है कि पुनर्गठन अधिनियम का मुद्दा इस अदालत के समक्ष लंबित है और हमने इसके गुण-दोष के आधार पर कुछ नहीं कहा है। अन्यथा याचिका खारिज की जाती है।”

शीर्ष अदालत ने दो श्रीनगर निवासियों, हाजी अब्दुल गनी खान और डॉ मोहम्मद अयूब मट्टू द्वारा दायर एक याचिका पर फैसला सुनाया है। जिसमें यूटी में सीटों की संख्या 107 से बढ़ाकर 114 करने को चुनौती दी गई थी। याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया था कि यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 81, 82, 170, 330 और 332 और जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 की धारा 63 के विपरीत था। शीर्ष अदालत को अपने जवाब में केंद्र ने दिसंबर में कहा था कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर के लिए परिसीमन 2026 तक इंतजार नहीं कर सकता था क्योंकि इस क्षेत्र में तत्काल लोकतंत्र देने का विचार था। पिछले साल मई में, परिसीमन आयोग ने जम्मू-कश्मीर विधानसभा में सीटों की संख्या 83 से बढ़ाकर 90 करके – जम्मू को 43 और कश्मीर को 47 सीटें देकर यूटी के नए चुनावी नक्शे को फिर से तैयार किया था।

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