बिहार की राजनीति पर सुहेल हाशमी की स्पेशल रिपोर्ट। जहां एक तरफ जदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा के तल्ख तेवर की वजह से पार्टी में शुरू हुआ घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है, तो वहीं दूसरी तरफ आज बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मीडिया से बात करते हुए अपना रुख साफ जाहिर कर दिया है। उन्होंने कहा, चाहे कुछ भी हो जाए, वे बीजेपी के साथ नहीं जाएंगे। यहां तक कि उन्होंने ये भी बोला कि, ‘वे मरना पसंद करेंगे, लेकिन बीजेपी के साथ हाथ नहीं मिलाएंगे’। आपको बता दें कि उनका ये बयान ऐसे वक्त में सामने आया है, जब बिहार की राजनीति में लगातार उपेंद्र कुशवाहा के बीजेपी में शामिल होने की चर्चा जोर पकड़ रही है। इससे पहले दिल्ली स्थित एम्स में उपचाराधीन रहने के दौरान उनकी बीजेपी नेताओं के साथ तस्वीरें भी सामने आई थीं। जिसके बाद से ही यह कयास लगने लगे थे कि वे बीजेपी में शामिल हो सकते हैं।
नीतीश कुमार ने आगे कहा कि बीजेपी को हमारे साथ गठबंधन में शामिल होने का फायदा मिला था। हमारे साथ आने की वजह से ही बीजेपी को उन सभी लोगों का वोट मिल पाया, जो पहले कभी हिंदुत्व की विचारधारा से सचेत रहा करते थे। बीजेपी को हमारे साथ आने से फायदा मिला है। लेकिन, अब मैंने बीजेपी से दूरी बनाने का फैसला कर लिया है। इतना ही नहीं, मुख्यमंत्री ने 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी से हाथ मिलाने के फैसले को अपनी गलती बताने तक से गुरेज़ नहीं किया। उन्होंने कहा कि विगत विधानसभा चुनाव के दौरान बीजेपी के साथ हाथ मिलाना मेरी सबसे बड़ी गलती थी और मैंने इस गलती को नहीं दोहराने का फैसला किया है। इससे पहले बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने भी मीडिया से बातचीत के दौरान स्पष्ट कर दिया था कि चाहे कुछ भी हो जाए, वे जदयू के साथ नहीं जाएंगे। ध्यान रहे कि नीतीश के इस बयान को उनके पलटू चाचा वाली छवि से भी जोड़कर देखा जा रहा है।
आमतौर पर नीतीश कुमार के संदर्भ में कहा जाता है कि वे सत्ता के लिए कभी-भी पलटी मार लेते हैं, लेकिन अब जिस तरह से उन्होंने अपने सख्त रवैये का परिचय दिया है, उसे लेकर राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का बाज़ार गुलज़ार हो चुका है। अब ऐसी स्थिति में बिहार की राजनीतिक मौसम आगामी दिनों में क्या रुख अख्तियार करती है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेगी। आपको बता दें कि आगामी लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए अभी से ही मुख्तलिफ राजनीतिक दलों के द्वारा गोटियों को फिट करने का सिलसिला शुरू हो चुका है। अब ऐसे में बिहार की राजनीति आगामी दिनों में कैसी रहती है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।