पीएम मोदी ने ‘मन की बात’ करते हुए 'न्यू इंडिया' के बारे में बताया

नई दिल्ली। रविवार को पीएम मोदी ने अपने मासिक रेडियो प्रोग्राम ‘मन की बात’ के जरिए देशवासियों को संबोधित किया। इस मासिक रेडियो कार्यक्रम का ये 97वां संस्करण है। बता दें कि साल 2023 में उन्होंने पहली बार मन की बात की। पीएम मोदी ने कहा, हर साल जनवरी का महीना काफी इवेंटफुल होता है। इस महीने 14 जनवरी के आस-पास उत्तर से लेकर दक्षिण तक और पूरब से लेकर पश्चिम तक देशभर में त्यौहारों की रौनक होती है। इसके बाद देश अपना गणंतत्र उत्सव भी मानता है। इस बार गणतंत्र दिवस समारोह में अनेक पहलुओं की काफी प्रशंसा हो रही है। जैसलमेर से पुल्कित ने मुझे लिखा है कि 26 जनवरी की परेड के दौरान कर्तव्य पथ का निर्माण करने वाले श्रमिकों को देखकर बहुत अच्छा लगा।

पीएम मोदी ने कहा,  कानपुर से जया ने लिखा है कि उन्हें परेड में शामिल झांकियों में भारतीय संस्कृति के विभिन्न पहलुओं को देखकर आनंद आया। इस परेड में पहली बार हिस्सा लेने वाली Women Camel Riders और CRPF की महिला टुकड़ी की भी काफी सराहना हो रही है।

देहरादून के वत्सल ने मुझे लिखा है कि 25 जनवरी का मैं हमेशा इंतजार करता हूं। क्योंकि उस दिन पद्म पुरस्कारों की घोषणा होती है और एक प्रकार से 25 जनवरी की शाम ही 26 जनवरी की मेरी उमंग को और बढ़ा देती है।

आज पूरी दुनिया में Climate-change और Biodiversity के संरक्षण की बहुत चर्चा होती है। इस दिशा में भारत के ठोस प्रयासों के बारे में हम लगातार बात करते रहे हैं। हमारे देश में अब Ramsar Sites की कुल संख्या 75 हो गई है, जबकि 2014 के पहले देश में सिर्फ 26 Ramsar Sites थी।

गोवा में इस महीने कुछ ऐसा हुआ, जे बहुत सुर्खियों में है। गोवा में हुआ ये Event है- Purple Fest. दिव्यांगजनों के कल्याण को लेकर यह अपने आप में एक अनूठा प्रयास था।

आंध्र पर्देश के नांदयाल जिले के रहने वाले के.वीं रामा सुब्बा रेड्डी जी ने Millets के लिए अच्छी खासी सैलरी वाली नौकरी छोड़ दी। मां के हाथों से बने Millets के पकवानों का स्वाद कुछ ऐसा रचा-बसा था कि इन्होंने अपने गांव में बाजरे की प्रोसेसिंग यूनिट ही शुरू कर दी।

भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और हम भारतीयों को इस बात का गर्व भी है कि हमारा देश ‘मदर ऑफ डेमोक्रेसी’ भी है। लोकतंत्र हमारी रगों में है, हमारी संस्कृति में है। सदियों से यह हमारे काम का अभिन्न हिस्सा रहा है। स्वभाव से हम एक ‘डेमोक्रेटिक सोसाइटी’ हैं।”

जनजातीय समुदायों से जुड़ी चीजों के संरक्षण और उन पर रिसर्च के प्रयास भी होते हैं। जनजातीय समुदायों के लिए काम करने वाले कई महानुभावों को पद्म पुरस्कार मिले हैं।

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