नई दिल्ली। राजस्थान में अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच तनातनी है। छत्तीसगढ़ में सीएम भूपेश बघेल और उनके मंत्री टीएस सिंहदेव के बीच भी छत्तीस का आंकड़ा है। इन दोनों मसलों को किसी तरह कांग्रेस आलाकमान गंभीर होने से बचाए हुए है। अब कांग्रेस नेतृत्व के सामने झारखंड का मसला भी आ गया है। झारखंड कांग्रेस में अंतर्कलह मच गई है। पार्टी के चार नेता आलोक दुबे, लाल किशोर नाथ शाहदेव, राजेश गुप्ता और साधुशरण गोप खुलकर झारखंड कांग्रेस नेतृत्व के खिलाफ आ गए हैं। इनमे से आलोक, लाल किशोर और राजेश गुप्ता पूर्व प्रवक्ता हैं। चारों ही नेताओं पर पार्टी ने अनुशासन की कार्रवाई की थी। इन सभी को 6 साल के लिए निष्कासित करने की सिफारिश की गई थी।
खुद के खिलाफ अनुशासन की कार्रवाई के बाद चारों नेताओं ने मीडिया से मुखातिब होकर अपनी भड़ास निकाली। उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर और अनुशासन समिति के कदमों पर सवाल खड़े किए। आलोक, लाल किशोर, राजेश और साधुशरण ने कहा कि उन्होंने लंबे समय तक कांग्रेस की सेवा की। वहीं, दूसरे दलों से आए लोगों को आगे बढ़ाया जा रहा है। ये नए लोग पुराने निष्ठावान कार्यकर्ताओं का अपमान कर रहे हैं। राजेश ठाकुर निजी दुश्मनी और अहंकार के कारण पक्षपात वाला रवैया अपना रहे हैं। चारों नेताओं ने ये आरोप भी लगाया कि कांग्रेस की विचारधारा के खिलाफ जाने वालों को भी अहम पद दे दिए गए हैं।
इन सभी मामलों की जांच की मांग पार्टी में अनुशासन का सामना कर रहे नेताओं ने की है। झारखंड कांग्रेस में विवाद की घटना नई नहीं है। इससे पहले पिछले साल भी ऐसा हुआ था। उस वक्त झारखंड कांग्रेस ने जिला और ब्लॉक स्तर पर कमेटियां बनाई थीं। कमेटियों में अल्पसंख्यकों को नहीं रखा गया था। जिसके बाद हंगामा मचा था। हंगामे के बाद दूसरी लिस्ट जारी करनी पड़ी थी। कुछ दिन पहले प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर के सामने भी कांग्रेस कार्यकर्ता आपस में भिड़ तक गए थे।