नई दिल्ली। भारत और बांग्लादेश की महत्वकांक्षी इंडो बांग्ला फ्रेंडशिप पाइपलाइन परियोजना अगले महीने से शुरू हो जाएगी। इस पाइपलाइन का संचालन शुरू होने से दोनों देशों की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में मदद मिलेगी। IBFPL परियोजना की लागत 377 करोड़ रुपए है। बता दें कि इंडो बांग्ला फ्रेंडशिप पाइपलाइन परियोजना पश्चिम बंगाल के सिलिगुड़ी को बांग्लादेश के पार्बतीपुर डिपो को जोड़ेगी। इस पाइपलाइन की मदद से भारत के असम की नुमालीगढ़ रिफाइनरी के मार्केटिंग टर्मिनल सिलिगुड़ी से ईंधन बांग्लादेश पेट्रोलियम कार्पोरेशन के पार्बतीपुर डिपो भेजा जाएगा।
130 किलोमीटर लंबी इस पाइपलाइन का शिलान्यास सितंबर 2018 को किया गया था। जिसमें पीएम मोदी और बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए शिरकत की थी। इस प्रोजेक्ट की फंडिंग भारत ने की है और इस प्रोजेक्ट का काम बीते साल 12 दिसंबर को पूरा हो गया था। अब अगले महीने से इस पाइपलाइन शुरुआत भी हो जाएगी। हालांकि बांग्लादेश को तेल का निर्यात इस साल के अंत तक शुरू हो पाएगा। नुमालीगढ़ रिफाइनरी के एक अधिकारी ने बताया कि यह प्रोजेक्ट इंजीनियरिंग का चमत्कार है। इस प्रोजेक्ट को पूरा करने में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन दोनों देशों ने तकनीकी और आपसी सहयोग से सभी चुनौतियों को पार कर लिया।
अधिकारी ने बताया कि इस प्रोजेक्ट के शुरू होने से दोनों देश और करीब आएंगे। दरअसल नुमालीगढ़ रिफाइनरी और बांग्लादेश पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन के बीच अप्रैल 2017 में पाइपलाइन के जरिए हाई स्पीड डीजल निर्यात का समझौता हुआ था। इसके बाद भारत के पीएम नरेंद्र मोदी ने बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के बीच मुलाकात हुई और इस मुलाकात में पीएम मोदी ने इंडो बांग्ला फ्रेंडशिप पाइपलाइन को फंडिंग देने की सहमति दी थी। जिसके बाद अक्टूबर 2017 में इस परियोजना पर काम शुरू हुआ। इस पाइपलाइन की क्षमता 10 लाख मीट्रिक टन प्रतिवर्ष की है। जिस पर 91.84 करोड़ रुपए नुमालीगढ़ रिफाइनरी लिमिटेड ने निवेश किए हैं। वहीं बचे हुए 285 करोड़ रुपए भारत सरकार ने सहायता के तौर पर बांग्लादेश को दिए। इंडो बांग्ला फ्रेंडशिप पाइपलाइन के जरिए बांग्लादेश निर्यात शुरू होने के 15 सालों तक भारत से डीजल खरीदेगा।