आलोचना करने वालों को मिला गौतम अडानी का करारा जवाब

नई दिल्ली। देश के टॉप बिज़नेसमैन गौतम अडानी एक अक्सर सुर्खियों में छाए रहते है। खासकर जब से नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री की कुर्सी पर विराजमान हुए है, तब से विपक्षी पार्टियां गौतम अडानी का नाम उनके साथ जोड़ा आ रहा है। इतना ही नहीं विपक्ष के नेता केंद्र पर आरोपी लगाती रहती है कि सरकार बिजनेसमैन अडानी को फायदा पहुंचा रही है और बड़े-बड़े प्रोजेक्ट अडानी समूह को दे रही है। लेकिन क्या वाकई में गौतम अडानी को मोदी सरकार मुनाफा पहुंचा रही है?, क्या बिज़नेसमैन गौतम अडानी की कामयाबी के पीछे पीएम नरेंद्र मोदी का हाथ है? इस तमाम सवालों पर पहली बार खुद गौतम अडानी ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने इंडिया टुडे से खास बातचीत में इन सभी सवालों का जवाब दिया है।

दरअसल बिज़नेसमैन गौतम अडानी से एंकर ने प्रश्न किया कि, आप उन आलोचकों को क्या कहना चाहते हो। जो कहते है कि आपकी सक्सेस  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वजह से है? जिसे गौतम अडानी ने सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने सवाल का जवाब देते हुए कहा, पीएम मोदी और मैं एक ही सूबे से आते है, इसलिए मुझ पर इस प्रकार के बेबुनियाद आरोप लगाना आसान है। मैं अपने औद्योगिक करियर को 4 हिस्सों में बांट सकता हूं। अडानी ने कहा कि, कई लोगों को जानकर हैरानी होगी कि मेरा सफर जब राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे तब शुरू हुआ। जब उन्होंने एग्जिम पॉलिसी को बढ़ावा दिया और पहली बार कई चीजें OGL सूची में आई। इसी वजह से मेरा एक्सपोर्ट हाउस शुरू हुआ। लेकिन वो नहीं होते तो मेरी शुरुआत ऐसी नहीं होती।

आगे उन्होंने इस इंटरव्यू में बताया कि दूसरा मौका साल 1991 में आया जब नरसिम्हा राव और डॉ. मनमोहन सिंह ने आर्थिक सुधार किए। मेरे साथ इससे कई लोगों को फायदा पहुंचा। तीसरा मौका 1995 में आया जब केशुभाई पटेल गुजरात के सीएम बने। उनकी दूरदर्शिता और पॉलिसी में बदलाव करने की वजह से मुंडरा में पर अपना पहला पोर्ट बनाने का मौका मिला। चौथा मौका साल 2001 में मिली जब नरेंद्र मोदी ने गुजरात के सीएम बनते ही विकास की दिशा दिखाई।

उन्होंने अपने कामयाबी के पीछे पीएम मोदी को बताने वाले आलोचकों को जवाब देते हुए कहा कि, दुर्भाग्यपूर्ण है मेरे खिलाफ ऐसी कमेंट किए जाते है। ये सब बेबुनियाद है और हमारी प्रगाति के खिलाफ पक्षपात है। सच्चाई ये है कि हमारी कामयाबी किसी एक की वजह से नहीं बल्कि पिछले तीन दशकों की सरकारों की पॉलिसी बदलाव की वजह से हुआ है।

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