नई दिल्ली। चीन में कोविड-19 प्रतिबंधों में ढील के बाद से वहां एक बार फिर कोरोना वायरस ने कहर बरपा रखा है। कोरोना मरीजों की बढ़ती तादाद की वजह से चीन में स्वास्थ्य सुविधाएं पूरी तरह से चरमरा गई है। कोरोना के विस्फोट के बाद चारों तरफ डर और दहशत का माहौल है। चीन में कोरोना विस्फोट के बाद भारत भी सतर्क हो गया है। चीन में कोरोना के आउट ऑफ कंट्रोल होने से भारत पर क्या कोई नया खतरा मंडरा रहा है? भारत में कोरोना को लेकर कितना सतर्क और सजग रहने की जरूरत है? इसे लेकर लोगों के मन में तरह-तरह के सवाल उठने लगे हैं। आम लोगों को 2020 के हालात फिर से वापस लौटने का डर सताने लगा है। क्या भारत को कोरोना संक्रमण को लेकर चिंता करने की जरूरत है? आइए जानते हैं AIIMS के पूर्व डायरेक्टर डॉक्टर रणदीप गुलेरिया ने इसपर क्या कहा।
डॉक्टर रणदीप गुलेरिया ने वैक्सीन की तीसरी डोज लेने पर काफी जोर दिया। चौथी डोज के सवाल पर डॉ. गुलेरिया ने कहा कि ऐसा कोई डेटा अब तक नहीं आया है, जो चौथी डोज की जरूरत पर जोर देता हो। यानी फिलहाल चौथी डोज लेने की जरूरत नहीं है उन्होंने आगे कहा कि इसकी जरूरत तब तक नहीं है, जब तक की कोई विशेष प्रकार का बाइवेलेंट टीका नहीं आ जाता है।
आपको बता दें कि, फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) के अनुसार, बाइवेलेंट वैक्सीन एक साथ दो वायरस या उनके वेरिएंट पर कारगर होता है। बाइवेलेंट टीके में कोविड-19 के खिलाफ व्यापक सुरक्षा प्रदान करने के लिए ओरिजनल वायरस स्ट्रेन का एक कम्पोनेंट होता है। साथ ही इसमें ओमिक्रॉन वेरिएंट की वजह से कोविड-19 के खिलाफ बेहतर सुरक्षा प्रदान करने के लिए ओमिक्रॉन वेरियंट का एक घटक भी शामिल है।
इन्हें बाइवेलेंट कोविड-19 वैक्सीन इसलिए कहा जाता है क्योंकि इनमें ये दो घटक होते हैं। बाइवेलेंट कोविड-19 वैक्सीन को अपडेटेड कोविड-19 वैक्सीन बूस्टर खुराक के रूप में भी रेफर किया जा सकता है। यहां पर भारत में बाइवेलेंट वैक्सीन की बात की जाए तो, कोई भी वैक्सीन बाइवेलेंट वैक्सीन नहीं है।
भारत के बाहर फाइजर और बायोएनटेक की बाइवेलेंट वैक्सीन और मॉडर्ना की वैक्सीन जैसी एमआरएनए वैक्सीन को बढ़ावा देने की दृष्टि से ही इस्तेमाल किया जा रहा है। उन्होंने कहा, एमआरएनए टीके, जो अन्य देशों में चौथी खुराक के रूप में इस्तेमाल किए गए हैं, तीसरी खुराक की तुलना में जल्दी प्रभाव दिखाते हैं।
केरल की कोविड टास्क फोर्स के सदस्य डॉ. राजीव जयदेवन ने इंडिया टुडे को बताया कि बूस्टर खुराक के साथ समस्या यह है कि उसका प्रभाव कम समय के लिए होता है। जिन एमआरएनए वैक्सीन को दूसरे देशों में चौथी खुराक के रूप में उपयोग किया गया है, उसके रिजल्ट बताते हैं कि उनका प्रभाव तीसरी खुराक की तुलना में तेजी से घटता है।
एक्सपर्ट्स के मुताबिक इस समय केवल उन लोगों पर ध्यान देने की ज्यादा जरूरत है, जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है. पब्लिक हेल्थ (PHFI) के संस्थापक (पूर्व) अध्यक्ष और प्रतिष्ठित प्रोफेसर श्रीनाथ रेड्डी के मुताबिक इस समय सभी पर फोकस करने की जरूरत नहीं है। वर्तमान में केवल उन लोगों ने ध्यान देना चाहिए, जिनकी इम्युनिटी कमजोर है।
डॉक्टर रणदीप गुलेरिया कहते हैं कि BF.7 ओमिक्रॉन का ही एक सबवैरिएंट है. बड़ी बात ये है कि इस वैरिएंट में इम्युनिटी को चकमा देने की ताकत है। इसी वजह से अगर किसी को पहले कोरोना हुआ भी हो, वो फिर इस वैरिएंट से संक्रमित हो सकता है। वैक्सीन लेने के बाद भी शख्स इस वैरिएंट की चपेट में आ सकता है, लेकिन केस की गंभीरता कम रहेगी। एक्सपर्ट्स की मानें तो कोरोना संक्रमण से बचाव में नेचुरल इम्यूनिटी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। रिसर्च में दावा किया गया है कि नेचुरल और वैक्सीन दोनों की मिलीजुली हाइब्रीड इम्यूनिटी क्षमता लंबे समय तक टिकाऊ रहती है। भारतीय आबादी ने दोनों तरीकों से यह क्षमता हासिल की है। इसलिए भारतीयों में कोरोना के नए वेरिएंट का खतरा कम हो सकता है। वहीं, यहां ओमिक्रॉन को लेकर नेचुरल इम्यूनिटी डबल हो चुकी है।