G20 Summit के लिए भारत ने की खास तैयारी, क्यों है G20 अहम ?

नई दिल्ली। जी 20 दुनिया की बीस सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं का समूह है जो वैश्विक अर्थव्यवस्था की दिशा और दशा तय करता है। जी 20 शिखर सम्मेलन के दौरान विश्व की अर्थव्यवस्थाओं का एजेंडा तय किया जाता है। इस बार G20 अध्यक्षता हमारा देश भारत कर रहा है जो देश के लिए गर्व की बात है।

आधिकारिक रूप से भारत को G20 की अध्यक्षता मिल चुकी है। इस इवेंट को एतिहासिक बनाने के लिए मोदी सरकार ने जोर-शोर से तैयारी शुरू कर दी है। देशभर में 50 से ज्यादा जगहों पर 200 से ज्यादा बैठकों की मेजबानी की जाएगी। इस समिट में भारत के योग और आयुष चिकित्सा पद्धति को प्रभावशाली ढंग से पेश करने की भी तैयारी है।

 

 

केंद सरकार ने यह भी तय किया है कि भारत में जब-जब इस समूह की बैठक होगी, भारत अपने प्राचीनतम ज्ञान योग और आयुष चिकित्सा पद्धति को प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करेगा। G20 की कमान संभालने के बाद भारत इस सम्मेलन में दुनिया के उभरते और शक्तिशाली देशों के सामने अपने प्राचीन और प्रभावशाली ज्ञान का प्रदर्शन भी करेगा।

 

क्या है G20 और ये हमारे देश के लिए अहम क्यों है..?

जी-20 देशों के समूह की अध्यक्षता संभालते हुए पीएम ने कहा था कि “भारत दुनिया में एकता की सार्वभौमिक भावना को बढ़ावा देने के लिए काम करेगा। भारत ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ के मंत्र के साथ आगे बढ़ेगा।”

 

 

क्या है G20..?

जी-20, जी-7 और कुछ विकासशील देशों के सहयोग से बना एक संगठन है, इसमें 20 देशों के विदेश मंत्री, वित्त मंत्री, सेंट्रल बैंक के अधिकारी व देशों के प्रमुखों द्वारा विश्व के प्रमुख वित्तीय, पर्यावरण और स्थिर विकास विषयों पर चर्चा की जाती है। जी-20 देशों के पास विश्व के घरेलू सकल उत्पाद का 80 प्रतिशत, अंतरराष्ट्रीय व्यापार का 60 से 75 प्रतिशत और विश्व की 65 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या है।

18वीं बैठक, जो भारत की अध्यक्षता में होनी है, उसका थीम “वसुधैव कुटुम्बकम्” या “एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य” (वन अर्थ, वन फैमिली, वन फ्यूचर) है।

 

जी 20 समूह में कौन-कौन देश शामिल हैं

G-20 में 19 देश और यूरोपीय संघ शामिल हैं, जोकि वैश्विक स्तर पर आर्थिक मामलों में सहयोग के लिए काम करते हैं। जी-20 के देशों में फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, दक्षिण कोरिया, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, ब्रिटेन, अमेरिका और यूरोपीय संघ शामिल हैं।

 

G20 के उद्देश्य

G-20 सम्मलेन का मुख्य उद्देश्य दुनिया को मजबूत बनाना है। इसमें सम्मेलन में आर्थिक संकट, आतंकवाद, और पर्यावरण जैसे कई प्रमुख मुद्दों पर बात होती है और एक-दूसरे के सहयोग की अपेक्षा की जाती है।

G-20 की स्थापना साल 1999 में वाशिंगटन डीसी, अमेरिका में की गयी थी। पहला शिखर सम्मलेन 14-15 नवंबर 2008 में आयोजित किया गया था। खास बात यह कि G-20 शिखर सम्मेलन का कोई मुख्यालय नहीं है। हर साल इस सम्मलेन का आयोजन अलग अलग देशों में होता है और G-20 शिखर सम्मेलन में यूरोपीय संघ का प्रतिनिधित्व यूरोपीय परिषद् (EC) के अध्यक्ष द्वारा या यूरोपीय केंद्रीय बैंक द्वारा किया जाता है।

 

जी-20 कैसे करता है काम..?

जी-20 का कोई स्थायी सचिवालय नहीं है। इसके एजेंडे और काम का समन्वय जी-20 देशों के प्रतिनिधियों द्वारा किया जाता है, जो राजनीतिक जुडाव, भ्रष्टाचार का विरोध, विकास, ऊर्जा जैसे मुद्दे पर ध्यान देते हैं, जिन्हें ‘शेरपा’ के रूप में जाना जाता है। भारतीय जी-20 शेरपा, नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत हैं। जबकि केंद्रीय बैंकों के गवर्नर, वित्त मंत्रियों के साथ मिलकर वित्तीय विनिमय, राजकोषीय मुद्दों एवं मुद्रा पर काम करते हैं।

जी-20 में वार्षिक रूप से, शेरपा बैठक, विशेषज्ञ समूह की बैठक, वित्त मंत्रियों की बैठक, केंद्रीय बैंक के गवर्नरों की बैठक, विदेश मंत्रियों की बैठक और देशों के प्रमुखों का शिखर सम्मेलन और विशेष कार्यक्रम भी पूरे वर्ष आयोजित किए जाते हैं। जी-20 की अध्यक्षता हर साल सदस्य देशों के बीच घूमती है।

 

जी-20 की अध्यक्षता वाले देश, पिछले एवं अगले अध्यक्ष पद-धारक के साथ, जी-20 एजेंडा की निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए ‘ट्रोइका’ का निर्माण करते हैं। इंडोनेशिया, भारत और ब्राजील अभी ट्रोइका देश हैं। समूह का अध्यक्ष अन्य सदस्य के साथ बातचीत करके जी-20 एजेंडा को लागू करने और वैश्विक अर्थव्यवस्था के विकास हेतु उत्तरदायी होता है। इस समूह की बैठक हर वर्ष आयोजित की जाती है।

भारत के लिए क्यों अहम..?

इस मंच की सबसे बड़ी बात है हर साल शिखर सम्मेलन में दुनिया के कई देशों के शीर्ष नेताओं की आपस में मुलाकात होती है। साथ ही इस साल भारत ने जी20 की अध्यक्षता ग्रहण की है। भारत के सामने इसे लेकर कठिन चुनौतियां हैं।

भारत की G20 प्राथमिकताओं में समावेशी, न्यायसंगत और सतत विकास, महिला सशक्तिकरण, डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचा, और तकनीक-सक्षम विकास, जलवायु वित्तपोषण, वैश्विक खाद्य सुरक्षा और ऊर्जा सुरक्षा, अन्य शामिल हैं। इस मंच का सबसे बड़ा मकसद आर्थिक सहयोग है। मालूम हो कि इसमें शामिल देशों की कुल जीडीपी दुनिया भर के देशों की 80 फीसदी है।

 

समूह साथ में आर्थिक ढांचे पर तो काम करते ही है। साथ ही आर्थिक स्थिरता, जलवायु परिवर्तन और स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दे पर भी बातचीत करता है। इसके केंद्र में आर्थिक स्थिति को कैसे स्थिर और बरकरार रखें, होता है। इसके साथ ही मंच विश्व के बदलते हुए परिदृश्य को भी ध्यान में रखता है और इससे जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों पर भी ध्यान केंद्रित करता है। इसमें व्यापार, कृषि, रोगार, ऊर्जा, भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई, आतंकवाद जैसे मुद्दे भी शामिल हैं।

चुनौतियां

रूस और यूक्रेन की जंग ने लगभग पूरी दुनिया को दो हिस्सों में बांट दिया है। G -20 समूह में रूस और यूक्रेन दोनों को समर्थन देने वाले देश शामिल हैं। पिछले दिनों हुए G-20 के सम्मेलन में यूक्रेन जो G-20 का सदस्‍य नहीं है फिर भी जेलेंस्‍की को जी-20 को संबोधित करने का अवसर दिया गया। ऐसे में कयास लगाया जा रहा है कि भारत के लिए संतुलन बनाना आसान नहीं होगा।

विशेषज्ञों के अनुसार जी-20 की विश्वसनीयता पिछले कुछ सालों में कम हुई है। जी-20 के सदस्य देशों में ही गंभीर मतभेद चल रहे हैं। ऐसी स्थिति में भारत के लिए G-20 की अध्यक्षता चुनौतीपूर्ण रहेगी। साथ ही समावेशी, समान और सतत विकास, महिला सशक्तिकरण, डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर, जलवायु परिवर्तन, ऊर्जा सुरक्षा और दुनिया की खाद्य आपूर्ति जैसी समस्याओं को गंभीरता से लेना होगा।

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