नई दिल्ली। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती ने रविवार को ट्वीट कर आंशका जताई कि मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव में समाजवादी पार्टी की जीत और रामपुर विधानसभा उपचुनाव में हार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ “आंतरिक मिलीभगत” का परिणाम है। मायावती ने कहा कि मुस्लिम समुदाय को बहुत कुछ सोचने जरूरत है। ताकि आने वाले चुनावों में उन्हें “धोखे से बचाया जा सके”।
मैनपुरी में हुए उपचुनाव में सपा की डिंपल यादव ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाजपा के रघुराज सिंह शाक्य को 2.88 लाख मतों के अंतर से हराया। समाजवादी पार्टी के संस्थापक-नेता मुलायम सिंह यादव, जो डिंपल यादव के ससुर भी थे, के निधन के कारण उपचुनाव की आवश्यकता थी।
हालांकि बीजेपी ने पहली बार समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान के गढ़ रामपुर सदर विधानसभा सीट पर सेंध लगाई है। बीजेपी के आकाश सक्सेना ने आजम के उम्मीदवार असीम रजा को करीबी मुकाबले में 34,000 वोटों के अंतर से हराया।
यूपी के मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव में सपा की जीत हुई, लेकिन रामपुर विधानसभा उपचुनाव में पहली बार श्री आजम खां की विशेष सीट पर सुनियोजित कम मतदान के कारण उसकी हार ने इस बात की काफी चर्चा की कि क्या यह किसी का परिणाम है। या फिर सपा और भाजपा की अंदरूनी मिलीभगत? मायावती ने हिंदी में एक ट्वीट में कहा।
2. इस बारे में ख़ासकर मुस्लिम समाज को काफी चिन्तन करने व समझने की भी ज़रूरत है ताकि आगे होने वाले चुनावों में धोखा खाने से बचा जा सके। खतौली विधानसभा की सीट पर भाजपा की हुई हार को भी लेकर वहाँ काफी सन्देह बना हुआ है, यह भी सोचने की बात है।
— Mayawati (@Mayawati) December 11, 2022
उन्होंने कहा, ‘विशेष रूप से मुस्लिम समाज को इस बारे में बहुत कुछ सोचने और समझने की जरूरत है ताकि आने वाले चुनावों में उसे ठगी से बचाया जा सके. खतौली विधानसभा सीट पर बीजेपी की हार को लेकर काफी संशय बना हुआ है, यह भी सोचने वाली बात है।
सपा के सहयोगी दल राष्ट्रीय लोकदल ने खतौली उपचुनाव जीता और उसके उम्मीदवार मदन भैया ने भाजपा की राजकुमारी सैनी को 22,000 मतों से हराया। मायावती की पार्टी के पास 2022 के राज्य चुनावों में बड़ी हार के बाद उत्तर प्रदेश विधानसभा में एक भी सीट है। बसपा ने यूपी विधानसभा चुनाव में 88 मुस्लिम उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था, लेकिन एक भी उम्मीदवार जीत नहीं पाया।