नई दिल्ली। दिल्ली नगर निगम चुनाव के नतीजे के बाद साफ हो चूका हैं कि इस बार आम आदमी पार्टी ने भाजपा के हाथ से MCD की कुर्सी छीन ली हैं। पुरे15 साल बाद एमसीडी भाजपा के पाले से निकल कर आम आदमी की ओर चली गई है। MCD की 134 सीटें आम आदमी पार्टी के हिस्से आई तो भाजपा और कांग्रेस का तो सूपड़ा ही साफ हो गया।
सुबह आठ बजे से ही मतगणना चल रही थी और शुरुआती रुझान में भाजपा और आप में कांटे की टक्कर देखने को मिल रही थी । कभी आम आदमी पार्टी तो कभी भाजपा बढ़त बनाती दिख रही है। भाजपा और आम आदमी के कार्यकर्तओं में पूरा जोश देखने को मिल रहा था। वही आम आदमी पार्टी के कार्यालय से जश्न की तस्वीरें सामने आने लगी आप कार्यकर्ता तरह तरह से जश्न मनाने में लगे हैं।
महत्वपूर्ण वार्ड
वार्ड नंबर 203 लक्ष्मी नगर दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया जहां रहते हैं यहां आम आदमी पार्टी को भाजपा की अलका राघव ने आप की मीनाक्षी शर्मा को हरा दिया।
वार्ड नंबर 189 जाकिर नगर से आप विधायक अमानतुल्लाह खान अपने ही इलाके से हार गए यहाँ न आप को जीत मिली, न भाजपा जीत सकी। कांग्रेस की नाजिया दानिश ने दोनों पार्टियों के उम्मीदवारों को यहां हरा दिया।
वार्ड नंबर 74 चांदनी चौक जंहा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का घर है यंहा आम आदमी पार्टी ने अपनी जीत सुनिश्चित कर आप के पुनर्दीप सिंह विजयी रहे।
वार्ड 58 सरस्वती विहार, वार्ड 59 पश्चिम विहार और वार्ड 60 रानी बाग। ये तीनों वार्ड मंत्री सत्येंद्र जैन की विधानसभा में आते हैं। तीनों वार्ड में भाजपा को जीत मिली है।
आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता कांग्रेस और भाजपा पर चोट करते दिखे जिस पर लिखा था ‘केजरीवाल से जो टकराएगा, वो जीरो हो जाएगा।’ पोस्टर में आगे लिखा है कि केजरीवाल से बिजली, पानी, बस टिकट और कांग्रेस टकराए तो वो जीरो हो गए, आज भाजपा की बारी है। 1,349 उम्मीदवारों के साथ-साथ राजनीतिक दलों के भाग्य का फैसले ने सबको हिला कर रख दिया हैं।
भाजपा का 15 साल से नगर निगम के चुनाव में दबदबा रहा है। निगम के अब तक हुए 11 चुनावों में से सात बार भाजपा (जनसंघ व जनता पार्टी) ने जीत हासिल की है, जबकि कांग्रेस तीन बार जीतने में सफल रही। वहीं, निगम के पहले चुनाव में वर्ष 1958 के दौरान किसी भी दल को बहुमत नहीं मिला था।
आम आदमी पार्टी दूसरी बार नगर निगम चुनाव लड़ रही है। साल 2017 में उसे पहले चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा था।सबसे ज्यादा नुकसान कांग्रेस को हुआ है, जिसके पास पिछली बार तो औसत 20 फीसदी वोट शेयर था, लेकिन इस बार 12 फीसदी रह गया है।