जीडीपी को लेकर आई अच्छी खबर, लेकिन महंगाई अब भी काम नहीं

नई दिल्ली। पहले कोरोना वायरस फिर रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद देश ही नहीं, बल्कि दुनिया की अर्थव्यवस्था को जो चोट लगी है, यकीनन उससे पार पाने में अभी बहुत समय लगेगा, लेकिन इन दुश्वारियों के बीच वर्तमान में जिस तरह की स्थिति भारतीय अर्थव्यवस्था की बनी हुई है, उसने उन सभी लोगों को उत्साहित किया है, जो इसे दुरूस्त करने की दिशा में लगे हुए हैं। जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक, अक्टुबर में अर्थव्यस्था की स्थिति सुखद रही। लेकिन, अब जीडीपी में गिरावट के आसार जताए जा रहे हैं।

 

 

जारी किए गए आंकड़ों पर अगर नजर डालें तो आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि 2022-23 में जीडीपी में विकास दर घटकर 6.9 फीसद घटने की उम्मीद थी। वहीं, 2021-22 में जीडीपी 8.7 फीसद रहा था, जो कि विगत वित्त से कम है। वहीं, अब आगामी 2023-24 में जीडीपी दर क्या रहती है? इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।

 

आपको बता दें, पिछले कुछ दिनों से मुख्तलिफ कारकों की वजह जिस तरह समस्त विश्व की अर्थव्यवस्था में उथल-पुथल की स्थिति बनी हुई है, यह उसी का परिणाम है कि आज भारतीय जीडीपी की यह स्थिति बनी हुई है। हालांकि, कोशिश पूरी जारी है कि कैसे भी करके आर्थिक मोर्चे पर बिग़ड़ते हालों तो दुरूह होने से बचाया जाए, लेकिन मौजूदा स्थिति को देखते हुए इसके आसार कम ही नजर आते हैं। वहीं, वर्ल्‍ड बैंक का अनुमान है कि व‍ित्‍त वर्ष 2022-23 में खुदरा महंगाई 7.1 प्रतिशत पर रहेगी। आपको बता दें जनवरी 2022 से महंगाई सरकार के संतोषजनक स्‍तर से ऊपर बनी हुई है।

खैर, अब इतना सबकुछ पढ़ने के बाद आपके मन को यह सवाल कौंध रहा होगा कि आखिर जीडीपी होता क्या है, तो आपको बता दें कि जीडीपी अर्थव्यस्था के विभिन्न क्षेत्रों द्वारा उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं का कुल मूल्य होता है। अब ऐसी स्थिति में आगामी वित्त वर्ष में देश की अर्थव्यवस्था की स्थिति कैसी रहती है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।

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