Iran Hijab Row : हिजाब क्रांति के आगे झुका ईरान

विदेश। ईरान में हर सार्वजनिक जगह पर महिलाओं के लिए हिजाब पहनना अनिवार्य है। इस इस्लामी नियम को लागू करने के लिए मॉरलिटी पुलिस बनी हुई है। जो महिलाएं बिना हिजाब के पाई जाती हैं, मॉरलिटी पुलिस ने उन्हें अपने प्रशिक्षण केंद्र पर ले जाती है पिछले कुछ समय से ईरान में महिलाओं के हक में चल रहे आंदोलन का एक बड़ा हासिल तब सामने आया, जब वहां आखिरकार ‘नैतिक पुलिस’ की इकाइयों को भंग करने की खबर आई।

ईरान में हिजाब के विरुद्ध इतना जबरदस्त जन आंदोलन चल पड़ा है कि मुल्ला-मौलवियों और आयतुल्लाहों की सरकार को घुटने टेकने पड़ गए हैं। उसने घोषणा की है कि वह ‘गश्त-ए-इरशाद’ नामक अपनी मजहबी पुलिस को भंग कर रही है। इस पुलिस की स्थापना 2006 में राष्ट्रपति महमूद अहमदीनेजाद ने इसलिए की थी कि ईरानी लोगों से वह इस्लामी कानूनों और परंपराओं का पालन करवाएं। देखिए  ईरान की कथा भी कितनी विचित्र है।

ईरान में हिजाब क्रांति को लेकर जबरदस्त प्रदर्शन हुए थे। ईरानी महिलाएं हिजाब के विरोध में सड़कों पर उतरी थी। 80 दिनों के अंदर ईरान की सरकार घुटनों पर आ गई है। ईरान के अटॉर्नी जनरल ‘मोहम्मद जफ़र मोंटाज़ेरी’ ने मौरेलिटी पुलिस व्यवस्था को खत्म करने की बात कही है. हालांकि अभी तक ईरानी सरकार इस मुद्दे पर कोई स्पष्टीकरण नहीं आया है।

 

हिजाब कानून पर पुनर्विचार की बात के साथ ही अटार्नी जनरल मोहम्मद जफर मोन्तजेरी को यह कहते बताया गया था कि मॉरलिटी पुलिस को भंग कर दिया गया है। ईरानी मीडिया में इस खबर का खंडन होने के बाद कई पश्चिमी मीडिया संस्थानों ने ईरान के गृह मंत्रालय की प्रतिक्रिया जानने की कोशिश की। लेकिन गृह मंत्रालय ने उनमें से किसी के सवाल का जवाब नहीं दिया।

13 सितंबर 2022 का दिन था। ईरान के कुर्दिस्तान प्रांत की 22 साल की महसा अमीनी एक लंबा ओवरकोट पहनकर अपने परिवार के साथ तेहरान में घूम रही थीं। परिवार जैसे ही शहीद हेगानी एक्सप्रेसवे पर पहुंचता है, मॉरैलिटी पुलिस आती है। मॉरैलिटी पुलिस अमीनी के ड्रेस को अभद्र बताते हुए उन्हें हिरासत में ले लेती है। दावा करती है अमीनी ने हिजाब को सही तरीके से नहीं पहना था। इसके बाद अमीनी को वैन से डिटेंशन सेंटर ले जाया जाता है।
डिटेंशन सेंटर ले जाते वक्त मॉरैलिटी पुलिस अमीनी के कपड़े फाड़ देती है और उन्हें मारती भी है। पुलिस स्टेशन पहुंचने के बाद भी अमीनी के साथ मारपीट की जाती है। इससे उसे दिखाई देना बंद हो जाता है और कुछ देर में ही वह बेहोश होकर गिर जाती हैं। 2 घंटे तक होश नहीं आने पर पुलिस उन्हें हॉस्पिटल ले जाती है। 2 दिन अमीनी कोमा में रहती हैं। 16 सितंबर 2022 को ईरान की मॉरैलिटी पुलिस की बर्बरता सामने आती है। शाम को ही अमीनी की मौत हो जाती है।

अमीनी की मौत के बाद कुर्दिस्तान से लेकर तेहरान तक में मॉरैलिटी पुलिस के विरोध में प्रदर्शन भड़क गए। अमीनी के जनाजे में बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए। जनाजे में शामिल महिलाओं ने विरोध में अपने हिजाब उतार दिए थे। हिजाब के खिलाफ प्रोटेस्ट के दौरान कई महिलाओं ने अपने बाल तक काट दिए। लगभग 3 महीने के विरोध के बाद ईरान सरकार ने मॉरैलिटी पुलिस को खत्म करने का फैसला लिया है।

जारी आंदोलन के बीच ईरान सरकार का रुख नरम करने का पहला संकेत रविवार को मिला, जब मोन्तजेरी का बयान आया। उन्होंने कहा कि संसद और न्यायपालिका दोनों हिजाब कानून की समीक्षा कर रहे हैं और उसके नतीजे आप अगले एक या दो सप्ताह में देख सकेंगे। ईरान में हिजाब कानून 1979 में हुई इस्लामिक क्रांति के बाद लागू किया गया था। लेकिन इसका कभी उस पैमाने पर विरोध नहीं हुआ, जैसा पिछले ढाई महीनों में देखने को मिला है।

मोन्तजेरी के बयान के बाद ईरान के सरकारी मीडिया संस्थानों ने कहा- ‘मॉरलिटी पुलिस का न्यायपालिका से कोई संबंध नहीं है। यह जरूर है कि न्यायपालिका सामाजिक व्यवहार की निगरानी करती रहेगी।’ अरब भाषी सरकारी टीवी चैनल अल-आलम ने रविवार को ही कहा- ‘ईरान इस्लामी गणराज्य के किसी अधिकारी ने यह नहीं कहा है कि नैतिकता निर्देशन गश्त पुलिस को बंद कर दिया गया है।’ टीवी चैनल ने कहा कि मोन्तजेरी के बयान के सिलसिले में यह ध्यान में रखना चाहिए कि मॉरलिटी पुलिस का न्यायपालिका से कोई संबंध नहीं है। चैनल ने कहा कि हिजाब और मजहबी नैतिकता के बारे में जो खबरें फैलाई जा रही हैं, उनका कोई आधार नहीं है।

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