उत्तराखंड। पिथौरागढ़ में रविवार शाम को तनावपूर्ण स्थिति पैदा हो गई है। यहां धारचूला में काली नदी किनारे तटबंध निर्माण कार्य चल रहा था। उसी दौरान नेपाल की तरफ से भारतीय मजदूरों पर पथराव किया गया। जिससे निर्माण कार्य में लगे मजदूरों में अफरा-तफरी मच गई।
जानकारी के मुताबिक धारचूला क्षेत्र में ये पत्थरबाजी हुई है। इस निर्माण का नेपाली नागरिक विरोध कर रहे हैं। वहीं नेपाली सुरक्षाकर्मी इस पूरे घटनाक्रम के दौरान मूकदर्शक बने रहे। इसके बावजूद नेपाल की ओर से मजदूरों पर सात बार पत्थर बरसाए जा चुके हैं। असामाजिक तत्वों की इस तरह की करतूतों से दोनों देशों के बीच रिश्तों में दरार पड़ने की आशंका रहती है।
रविवार को नेपाल की तरफ से पथराव, नेपाल पुलिस द्वारा पुल बंद करने, अनुरोध के बाद भी नहीं खोलने, भीड़ को नियंत्रित करने के लिए हल्का बल प्रयोग करने का मामला सामने आया था। इसमें भारतीय नागरिकों को चोट आयी। वहीं घटना के विरोध में व्यापार मंडल के नेतृत्व में सोमवार सुबह अंतरराष्ट्रीय पुल बंद कर दिया और धारचूला बाजार बंद रखा। अंतरराष्ट्रीय पुल बंद कर दिए जाने से नेपाल के लोग प्रभावित हो गए।
भारत और नेपाल के बीच घनिष्ठ संबंध हैं। सीमांत गांवों के लोग एक-दूसरे देश में ही वैवाहिक संबंध बनाते हैं। दोनों देशों का सीमांकन करने वाली काली नदी बरसात में उग्र रूप ले लेती है। इसमें आने वाली बाढ़ के कटाव से भवनों के बहने का खतरा रहता है। वर्ष 2013 में आई भीषण आपदा में काली नदी ने धारचूला से लेकर झूलाघाट तक भारी तबाही मचाई थी। तब नदी कई मकानों को बहा ले गई थी। नेपाल दार्चुला में मजबूत तटबंध पर सड़क भी बना चुका है।
क्या है इस विवाद की जड़ ?
भारत और नेपाल के बीच विवाद का कारण है कि बीते कुछ समय पहले नेपाली सरकार ने एक विवादित नक्शा पास किया था। इस नक्शे में कई भारतीय इलाके को नेपाल ने अपना हिस्सा बता दिया था। भारत ने इसका जोरदार विरोध किया था। नेपाल भारत के लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा को अपना हिस्सा बता रहा है। जबकि यह इलाका भारत के उत्तराखंड का हिस्सा है।