नई दिल्ली। रविवार को दिल्ली नगर निगम (MCD) के सभी 250 वार्डों में मतदान किया गया। वोटिंग सुबह 8 बजे से शुरू हुई और शाम 5 बजकर 30 मिनट तक चली। इस दौरान 50.47% मतदान हुआ, जो साल 2007 के बाद सबसे कम है। चुनाव के नतीजे 7 दिसंबर को घोषित किए जाएंगे, जिसके बाद जीत-हार का पता लगेगा।
इससे पहले साल 2017 में 53.55% मतदान हुआ था, तो वहीं 2012 में 53.39% और 2007 में 43.24% मतदान हुआ। इस बार पिछले चुनाव से 3 फीसदी कम मतदान हुआ है, जिसके बाद इसे राजनीतिक रुप से देखने की कोशिश भी शुरू हो गई है।
ऐसे किसी निष्कर्ष पर पहुंचना गलत होगा। हालांकि यह जरुर कहा जा सकता है कि मतदान का प्रतिशत कम होने के पीछे भी वह मतदाता भी आगे नहीं आए जो कि प्रत्याशियों की जीत हार को तय करते हैं। ऐसे में प्रत्याशियों में जीत और हार का आंकड़ा बहुत नजदीक का हो सकता है। संभव है कि 100 या दौ सौ या फिर 1000 मतों के अंतर से जीत हार तय हो। चूंकि प्रत्याशियों की भी संख्या ज्यादा नहीं थी ऐसे में कई सीटों पर भाजपा और आप का कड़ा मुकबला देखा गया है। यह परिणाम में कितना परिवर्तित होता है सात दिसंबर को मतगणना से पता चल जाएगा।
वोट कम रहने की क्या रही कमी
एमसीडी चुनाव के लिए मतदान के दौरान मुद्दों पर बात करने पर मतदाता विभाजित दिखे। कई लोगों ने नगर निगम के मुद्दों पर मतदान करने की बात की, तो कुछ नगर निगम से संबंधित मुद्दों से अनजान थे और बिजली-पानी को भी चुनाव से जोड़ रहे थे। कई जानकार और शिक्ष्रित मतदाता राष्ट्रीय मुद्दों पर भी बात करते दिखे। उनका मानना था कि चुनाव चाहे स्थानीय निकाय के हों या विधानसभा या फिर लोकसभा के, हमारा मुद्दा राष्ट्रीय सुरक्षा है और देश सबसे पहले है।
दक्षिणी दिल्ली की पाश कालोनियों हौजखास, ग्रीन पार्क, सीआर पार्क, वसंत कुंज, न्यू फ्रेंड्स कालोनी, ग्रेटर कैलाश आदि में लोगों ने राष्ट्रीय सुरक्षा के म़ुद्दे पर वोट किया। इसके अलावा इन इलाकों में लोगों ने पेड़ों की छंटाई, पार्कों के रखरखाव और बेसहारा कुत्तों के मुद्दे को लेकर मतदान किया।
लो प्रोफाइल इलाकों, जैसे-संगम विहार, मदनपुर खादर, आंबेडकर नगर, मदनगीर, गोविंदपुरी, ओखला आदि इलाकों में साफ-सफाई, निगम स्कूलों में अव्यवस्था और टूटी सड़कों व नालियों, डेंगू, मलेरिया पर रोकथाम न होने के मुद्दे पर लोगों ने मतदान किया।
बदरपुर विधानसभा क्षेत्र में लोगों ने ओ-जोन के मुद्दे पर मतदान किया। इनका कहना था कि ओ-जोन के कारण वे घरों की मरम्मत तक नहीं करवा पाते हैं। आपको बता दें शादियों के सीजन की शुरुआत के साथ ही कुछ लोग, अपने रिश्तेदारों के यहां शादी में शामिल होने के लिए शहर से बाहर थे, तो वहीं कुछ लोग तैयारियों में व्यस्त। ये भी एक बड़ी वजह रही कि लोग वोटिंग के लिए नहीं पहुंचे।