मुंबई बॉलीवुड। नेटफ्लिक्स अपने भारतीय यूजर्स को अच्छा कंटेंट देने की पूरी कोशिश कर रहा है और इसी सिलसिले में अब उन्होंने खाकी: द बिहार चैप्टर नाम से एक नई सीरीज जारी की है। प्रसिद्ध लेखक-निर्देशक नीरज पांडे के निर्माता होने के कारण सीरीज़ को अच्छी चर्चा मिली। सीरीज़ वर्तमान में ओटीटी प्लेटफॉर्म पर स्ट्रीमिंग कर रही है।
कहानी
नीरज पांडे ने अमित लोढा की किताब से कहानी को पटकथा में तब्दील किया है। कहानी इंस्पेक्टर रंजन कुमार (अभिमन्यु सिंह) के नैरेशन से शुरू होती है। पहले दृश्य में दिखाया गया है कि बिहार में चुनाव के नतीजे आने वाले हैं। उधर, रंजन कुमार ने कुख्यात गैंगस्टर चंदन महतो के घर के बाहर घेराबंदी की हुई है और फोन पर अपने सीनियरों से निर्देश ले रहा है।
चुनाव में जीतने-हारने की संभावनाओं के साथ किस तरह चंदन को पकड़ने की योजना बनती-बिगड़ती है, यह दृश्य खाकी- द बिहार चैप्टर के सात एपिसोड्स की दिलचस्प बुनियाद रख देता है, जो आगे जाकर कहानी से जुड़ता है। खाकी की कहानी रंजन कुमार के नैरेशन के जरिए आगे बढ़ती रहती है और केंद्र में रहता है-
सीरीज़ का पूरा सेटअप अच्छी तरह से किया गया है, और दर्शको को बिहार की दुनिया से बहुत अच्छी तरह से अवगत कराया गया है। प्रोडक्शन डिजाइन 2000-2006 के बीच बिहार राज्य के माहौल को दर्शाता है, और सभी कलाकारों बिहारी भाषा ने भी अच्छा रंग जमाया हैं। शुरुआती दृश्य बताता है कि कैसे अपराधी राज्य में राजनेताओं से समर्थन प्राप्त करते थे और एक को साजिश करते थे।
सीरीज़ अंत की ओर दिलचस्प हो जाता है, और अंतिम एपिसोड में विशेष रूप से काफी गहराई से भरा है। यह न्यायिक प्रणाली में खामियों के बारे में बात करता है और कैसे अपराधी इन खामियों का इस्तेमाल अपने अपराधों से दूर होने के लिए करते हैं। अंत में, नायक और प्रतिपक्षी के बीच एक छोटा सा माइंड गेम चलता है जो तब मौजूद तकनीक का उपयोग करता है, जो कि देखना दिलचस्प है।
कलाकार
पूरे बिहार को हिला कर रख देने वाले चंदन महतो के रूप में अविनाश तिवारी शानदार थे उन्होंने शो के साथ पूरा न्याय किया। उनकी बॉडी लैंग्वेज, डायलॉग डिलीवरी और लुक सभी जबरदस्त रहा । करण टैकर ने आईपीएस की भूमिका में ठीक-ठाक परफॉर्मेंस दी, जिसकी भूमिका शो के आगे बढ़ने के साथ और भी अहम हो जाती है। अभिमन्यु सिंह, आशुतोष राणा, रवि किशन, और अन्य सभी सहायक कलाकार अपनी दी गई भूमिकाओं में ठोस थे।