फिलिस्तीनी लोगों के साथ एकजुटता का अंतर्राष्ट्रीय दिवस

विदेश। दुनिया भर में हर 29 नवंबर को फिलिस्तीनी लोगों के साथ एकजुटता का अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनाया जाता है। इसके अंतर्गत फिलिस्तीन के मुद्दे पर जनता को शिक्षित करने और इजरायल और फिलिस्तीनियों के बीच शांतिपूर्ण समाधान का समर्थन करने के लिए यह दिन मनाया जाता है। 2008 से मानवीय मामलों के समन्वय के लिए संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (OCHA) इजरायल-फिलिस्तीनी संघर्ष में हताहतों की संख्या पर नज़र रख रहा है। इसके आंकड़ों के अनुसार, 2020 तक 5,600 फिलिस्तीनियों की मौत हो गई और 115,000 लंबे समय से चल रहे संघर्ष में घायल हुए हैं।

29 नवंबर को हर साल अंतर्राष्ट्रीय समुदाय स्वतंत्रता और शांति से भरे भविष्य की आशा करते हुए फिलिस्तीन के लोगों के साथ अपनी एकजुटता दर्शाते है। फ़िलिस्तीनियों को अभी भी संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा परिभाषित उनके अपरिहार्य अधिकारों को प्राप्त करना है, अर्थात् राष्ट्रीय स्वतंत्रता और संप्रभुता का अधिकार, बाहरी हस्तक्षेप के बिना आत्मनिर्णय का अधिकार और अपनी संपत्ति और घरों में लौटने का अधिकार जहां से वे विस्थापित हुए हैं। फ़िलिस्तीनियों के आगे एक लम्बा सफर हैं जिसे उन्हें अभी तय करना हैं।

जानिये क्या है इतिहास ?

29 नवम्बर 1947 को संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा ने एक प्रस्ताव पारित किया जिसके अनुसार फ़िलिस्तीन की धरती दो देशों फ़िलिस्तीनी और हेब्रू में विभाजित होती है और फ़िलिस्तीन की 55 प्रतिशत ज़मीन पर इस्राईल का क़ब्ज़ा होगा। प्रस्ताव क्रमांक 181 के नाम से प्रसिद्ध इस प्रस्ताव का पारित होना वास्तव में फ़िलिस्तीनी समाज की समस्याओं के पैदा होने की पहली बीज थी। इस अत्याचारपूर्ण प्रस्ताव ने फ़िलिस्तीन की धरती के तीन तुकड़े कर दिए और फ़िलिस्तीनी समाज के एतिहासिक हिस्से को जो फ़िलिस्तीन के घरों, उनके पूर्वजों और उनके दादा परदादाओं के घरों में इस्राईल को दे दिया गया।

 

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30 साल बाद अर्थात 1977 में संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा ने इस प्रस्ताव के पास होने की वर्षगांठ के अवसर पर अर्थात 29 नवम्बर को हर साल फ़िलिस्तीनी जनता से एकजुटता के अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाने का एलान किया, यद्यपि संयुक्त राष्ट्र संघ की इस कार्यवाही का आरंभिक मक़सद, फ़िलिस्तीनी समाज की समस्याओं पर ध्यान आकर्षित करना था लेकिन फ़िलिस्तीनी जनता से एकजुटता के अंतर्राष्ट्रीय दिवस के बारे में संयुक्त राष्ट्र संघ की ओर से पास किए गये प्रस्ताव के 44 साल गुज़रने के बावजूद दुनियावासियों के मन में अब भी यह सवाल पैदा हो रहा है कि संयुक्त राष्ट्र संघ ने फ़िलिस्तीनी जनता के ख़िलाफ़ इस्राईली अपराधों पर क्या कार्यवाहियां की हैं? यह वह चुभता हुआ सवाल है जिसने संयुक्त राष्ट्र संघ जैसे अंतर्राष्ट्रीय संगठन की पोल खोल दी और फ़िलिस्तीनी जनता की दयनीय स्थिति, अत्याचारों के जारी रहने और एक मज़लूम राष्ट्र के ख़िलाफ़ इस्राईल के भयावह अपराधों को आज तक देखा जा सकता है।

फ़िलिस्तीनी जनता से एकजुटता के अंतर्राष्ट्रीय दिवस के बारे में पास होने वाले प्रस्ताव को सालो बीत गये लेकिन संयुक्त राष्ट्र संघ, फ़िलिस्तीनी जनता के ख़िलाफ़ ज़ायोनी शासन के अपराधों पर हमेशा से ही चुप रहा है और कभी कभी उसकी इसी चुप्पी की वजह से फ़िलिस्तीनियों पर ज़ुल्म के पहाड़ टूटते रहे कभी उनके बच्चे तो कभी महिलाओ पर लगातार उन लोगों का हमला होता रहता हैं। फिलिस्तीन जो कभी एक देश था आज दुनिया के नक्शे से मिटता नज़र आता हैं।

जब फ़िलिस्तीनी अधिकारों के मुद्दे की बात आती है तो फ़िलिस्तीनी लोगों का समर्थन करने के कई तरीके हैं।
ऑनलाइन टूल का उपयोग करके ऐसे लेख, ब्लॉग पोस्ट और अन्य सामग्री साझा करें जो फ़िलिस्तीनी स्थिति के बारे में जागरूकता फैलाते हैं। आप सोशल मीडिया फ़ोरम के सदस्य भी बन सकते हैं और फ़िलिस्तीनी अधिकारों का समर्थन करने वाले ऑनलाइन अभियानों में भाग ले सकते हैं।
फिलिस्तीनियों के लिए अपना समर्थन दिखाने के लिए एक विरोध या प्रदर्शन में भाग लें। न्याय के लिए संघर्ष कर रहे लोगों को सुनने और उनका समर्थन कर भी इस दिन को मनाया जा सकता हैं।

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