नई दिल्ली। वीर लचित बरफुकन की 400वीं जयंती पर पीएम मोदी ने देश के असली इतिहास को दबाने पर अपनी चिंता जताई। एक कार्यक्रम में पीएम ने कहा कि दुर्भाग्य से, हमें आजादी के बाद भी वही इतिहास पढ़ाया जाता रहा, जो गुलामी के कालखंड में साजिशन रचा गया था। आजादी के बाद जरूरत थी गुलाम बनाने वाले विदेशियों के एजेंडों को बदला जाए।
इस दौरान पीएम मोदी ने सेनापति लचित के योगदान को याद किया। यहां उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि भारत का इतिहास सिर्फ गुलामी का इतिहास नहीं है, भारत का इतिहास योद्धाओं का इतिहास है विजय का इतिहास है। ऐसे लोगों के बारे में बताया ही नहीं गया। हम अब उन सभी गलतियों को सुधार रहे हैं, जो पहले की गई हैं।
PM मोदी ने सेनापति लचित के साहस को सराहा
मैं असम की धरती को प्रणाम करता हूं, जिसने लचित जैसे वीर दिए। वीर लचित ने अपने जीवन में खूब साहस और वीरता दिखाई है। असम की धरती इसकी गवाह रही है। अगर कोई तलवार के जोर से हमें झुकाना चाहता है, हमारी पहचान को बदलना चाहता है तो हमें उसका जवाब भी देना आता है।
सेनापति लचित को कहा जाता है शिवाजी
लचित बरफुकन का जन्म 24 नवंबर 1622 को हुआ। वे अहोम साम्राज्य के प्रसिद्ध सेनापति थे। लचित को पूर्वोत्तर का शिवाजी भी कहा जाता है। क्योंकि उन्होंने शिवाजी की तरह मुगलों की कई बार रणनीति से हराया था। मुगलों को हराने वाले लचित की याद में हर साल असम में 24 नवंबर को लचित दिवस मनाया जाता है।
PM मोदी की अहम बातें …
- कोई भी रिश्ता देश से बड़ा नहीं होता
PM मोदी ने कहा कि सेनापति लचित का जीवन प्रेरणा देता है कि हम परिवारवाद से ऊपर उठ देश के बारे में सोचें। उन्होंने कहा था कि कोई भी रिश्ता देश से बड़ा नहीं होता।
- देश की गलतियों को हम सुधार रहे हैं
PM ने कहा कि लचित का जीवन हमें प्रेरणा देता है कि हम व्यक्तिगत स्वार्थों को नहीं देश हित को प्राथमिकता दें। इतिहास को लेकर, पहले जो गलतियां हुई हैं। अब देश उनको सुधार रहा है।
- संस्कृति बचाने में भारत का हर युवा योद्धा
PM ने कहा कि जब किसी बाहरी ताकत से अपनी सांस्कृतिक विरासत को बचाने की बात आती है तो भारत का हर युवा योद्धा होता है।
हमारे देश की कहानी अत्याचारियों के विरुद्ध अभूतपूर्व शौर्य और पराक्रम दिखाने की कहानी है पीएम मोदी ने कहा कि हमें लचित बोरफुकन की 400वीं जयंती मनाने का अवसर ऐसे समय में मिला है जब देश अपनी आजादी का अमृत काल मना रहा है। यह ऐतिहासिक अवसर असम के इतिहास का एक गौरवपूर्ण अध्याय है। इसी के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के असली इतिहास को दबाने पर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि देश को ऐसा इतिहास पढ़ाया गया, जो विदेशियों के एजेंडे को आगे बढ़ाता है।